कृष्णा ने पूछा , " मैम मछलियों की आंखों की पलकें नहीं होतीं इसलिए वे कभी भी अपनी आंखें बंद नहीं कर सकतीं जैसा कि हम करते हैं । क्या इसका अर्थ यह हुआ कि वे कभी नहीं सोतीं ?
" मैम ने उत्तर दिया , " शरीर को आराम देने के लिए नींद की या सोने की आवश्यकता होती है । मछलियां अपनी आंखें बंद नहीं कर सकतीं लेकिन जब रोशनी कम होती है तो वे आराम करती हैं । कुछ तरह की मछलियां ऐसी हैं जैसे कि ट्रिगरफिश जो आराम करने के लिए अपने एक ओर लेट जाती हैं ।
मछली की आंख पानी में देखने के लिए बनी होती है । हमारी तरह मछली की आंख के लैंस के गिर्द पुतली होती है । इसके खुले भाग जिसे ' प्यूपिल ' कहा जाता है । इसका अधिकतर मछलियों में एक जैसा ही रहता है , बदलता नहीं । हमारे मामले में यह चमकदार रोशनी में सिकुड़ जाती हैं तथा कम रोशनी में फैल जाती हैं ।
कुछ मछलियों की पुतलियां ऐसी होती हैं जो सिकुड़ सकती हैं । इसकी आंखें सिर के दोनों ओर स्थित होती हैं और दोनों आंखों से मछलियां अलग - अलग छवियां देखती हैं । वे हमसे कहीं अधिक व्यापक रूप से देख सकती हैं । वे सामने, दोनों ओर , ऊपर , नीचे तथा यहां तक कि अपने पीछे भी देख सकती हैं ।
वे रंगों को देख सकती हैं तथा उन्हें पहचान सकती हैं । मछलियों के बारे में एक अन्य रोचक बात यह है कि उनकी आंसुओं की ग्रंथियां नहीं होतीं । पानी उनकी आंखों को नम रखता है जबकि हमारी आंखों को आंसुओं की ग्रंथियां नम रखती हैं । "
क्या मछलियां सुन सकती हैं ?
राधिका ने पूछा , ' क्या मछलियां सुन सकती हैं ? " मैम ने जानकारी दी , " हां , मछलियां सुन सकती हैं । यदि आपने कभी किसी मछुआरे को मछलियां पकड़ते देखा हो तो आपने गौर किया होगा कि वे बहुत सावधान होते हैं कि कोई आवाज़ उत्पन्न न हो , ताकि मछलियां डर कर दूर न भाग जाएं ।
मछलियों के कान बहुत संवेदनशील होते हैं लेकिन ये उनके शरीर के भीतर होते हैं न कि बाहर । इनकी छूने तथा स्वाद की शक्ति भी बहुत तेज होती है और ये अपनी त्वचा से भी महसूस कर सकती हैं । इनके पास सूंघने के भी दो नन्हे अंग होते हैं जो इनके सिर पर स्थित नासिकाओं में होते हैं ।
लेकिन सभी मछलियां एक समान नहीं होतीं । वे इतनी भिन्न तरह के वातावरणों में रहती हैं कि एक - दूसरे से ये कई मामलों में भिन्न होती हैं । कुछ मछलियां अंधी होती हैं क्योंकि वे ऐसी गुफाओं में रहती हैं जहां अंधेरा होता है । वे अपने सिर पर ' फीलर्स ' विकसित कर लेती हैं जिनकी सहायता से वे इधर - उधर घूम सकती हैं ।
' लंगफिश ' के गलफड़े तथा फेफड़े दोनों ही होते हैं । कुछ मछलियां नमकीन पानी में रहती हैं तथा कुछ ताजे पानी में । कुछ मछलियां ऐसी हैं जो कभी भी ऊपर नहीं आतीं क्योंकि वे हमेशा समुद्र के तल में ही रहना पसंद करती हैं । "
क्या मछलियां पानी पीती हैं ?
क्या मछलियां पानी पीती हैं ? मीठे पानी की मछलियों के शरीर के द्रव , जिस पानी में वे रहती हैं , उसके मुकाबले ज्यादा खारे होते हैं । परिणामस्वरूप , ( रसाकर्षण यानी ऑस्मॉसिस की प्रक्रिया द्वारा ) उनकी त्वचा से होकर पानी लगातार उनके शरीर में पहुंचता रहता है ।
शरीर में इतना पानी पहुंचने के कारण मछलियों को पानी पीने की कोई जरूरत नहीं होती । लेकिन समुद्री मछलियों के शरीर के द्रव बाहर के पानी से कम नमकीन होते हैं । इसलिए उनके शरीर का पानी लगातार बाहर जाता रहता है । अपनी त्वचा से बाहर जाते पानी के इस नुक्सान को पूरा करने के लिए उन्हें बड़ी मात्रा में पानी पीना पड़ता है ।
पानी के साथ जो अतिरिक्त नमक उनके शरीर में पहुंचता है , वह उनके गलफड़ों तथा पाचन मार्ग से बाहर निकाल दिया जाता है । वे जो भी पानी पीती हैं उसकी उन्हें जरूरत होती है । इसलिए समुद्री मछलियां बहुत कम मूत्र त्याग करती हैं । इसके विपरीत मीठे पानी की मछलियां अपने शरीर का अतिरिक्त पानी निकालने के लिए काफी ज्यादा पेशाब करती हैं ।
पिरान्हा के बारे में रोचक तथ्य
यह तो आप जानते हैं कि पिरान्हा बहुत डट कर खाती हैं । उनका झुंड बड़े से बड़े जानवर को भी मिनटों में सफाचट कर सकता है । लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके कुछ उपयोग भी हैं ?
* मछलीघरों में उनकी बड़ी मांग है ।
* अमेज़न की कुछ जनजातियां उन्हें खाती हैं । पिरान्हा को पकड़ना आसान है और उनका मांस स्वादिष्ट बताया जाता है।
* निचले जबड़े के पैने दांतों का उपयोग आमतौर पर दाढ़ी बनाने , औजारों पर धार रखने तथा काटने के लिए किया जाता है ।
* दक्षिण अमेरिका की कुछ जनजातियां अपने लोगों के शव उनके खाने के लिए पानी में डाल देती हैं । जब पिरान्हा मांस खाकर शव की हड्डियां साफ कर देती हैं तब कंकाल निकाल लिया जाता है और उसे सजा कर बड़े आदर से रखा जाता है। ऐसा अक्सर उन इलाकों में किया जाता है , जहां बाढ़ बहुत आती है और कब्र खोदना व्यावहारिक नहीं होता ।
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