महान ओलिम्पियन | मिल्खा सिंह | पाकिस्तान में हुई दौड़ और बने फ्लाइंग सिख | उनका एक रिकॉर्ड जो 38 सालों बाद जाकर टूटा
मिल्खा सिंह रिकार्ड तोड़ा लेकिन ...
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह की कहानी बहुत ही दिलचस्प, रोचक, और प्रेरणा से भरी हुई है । एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि एक बार उन्हें पाकिस्तान में इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता में खेलने के लिए ऑफर मिला था ।
मिल्खा सिंह पाकिस्तान में जाकर नहीं खेलना चाहते थे । मिल्खा सिंह एवं उनके परिवार के लोगों ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन का दुख देखा था। मिल्खा सिंह कुल 15 भाई बहन थे। इस विभाजन में उनके मां बाप के साथ 8 भाई और बहनों की निर्मम हत्या कर दी गई थी ।
उन्होंने पाकिस्तान से भर-भर के आए ट्रेनों में लोगों की लाशें देखी थी। वहां से किसी तरह ट्रेन की महिला बोगी में छिपकर दिल्ली तक आने में सफल हुए थे । भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद वह दिल्ली में बनाए गए शरणार्थी शिविर में कई वर्षों तक रहे थे। उन्हें कई रात भूखे पेट सोना पड़ा था ।
विभाजन से हुए परिवार के दुख से वह कभी उबर नहीं पाए तथा इस दंश ने उनके मां-बाप के साथ भाई बहनों को खो दिया था । इसी कारणवश वह पाकिस्तान में होने वाली इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता में भाग नहीं लेना चाहते थे। उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के लाख समझाने पर वह किसी तरह पाकिस्तान जाने के लिए मान गए ।
पाकिस्तान में उस समय अब्दुल खालिक सबसे तेज धावक था। उसके जैसा पूरे पाकिस्तान में कोई नहीं था। वह पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय और प्रसिद्ध था। धीरे-धीरे प्रतियोगिता का समय नजदीक आ गया। प्रतियोगिता वाले दिन स्टेडियम में सारे पाकिस्तानी अब्दुल खालिक का जोश बढ़ा रहे थे उसके नारों से पूरा स्टेडियम गूंज रहा था।
लेकिन इसका मिल्खा सिंह पर कोई मनोवैज्ञानिक असर नहीं पड़ा और नाही उनके उत्साह में कोई कमी आई। मिल्खा सिंह ने अपने मनोबल को गिरने नहीं दिया आखिरकार रेस स्टार्ट हो गई। अब्दुल खालिक बहुत तेज भागा लगभग 60,000 पाकिस्तानी उसका उत्साह बढ़ा रहे थे
लेकिन मिल्खा सिंह की स्पीड के आगे वो टिक नहीं सका । मिल्खा सिंह उससे आगे निकल गए उनके जीतते ही पाकिस्तान का पूरा स्टेडियम मैं एकाएक खामोशी छा गई।पाकिस्तान में उस समय के राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' के नाम से संबोधित किया और तभी से उनका नाम फ्लाइंग सिख पड़ गया। इस तरह वह 'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर हो गए।
वह एक शानदार धावक रहे हैं और अंत समय तक भारतीय खेलों के उत्थान हेतु सक्रिय थे । ओलिम्पिक में पदक हासिल करने के लिए उन्होंने कड़ा परिश्रम किया था । उनके कोच उन्हें यमुना के किनारे और रेतीले मैदानों में दौड़ाया करते थे । कई बार वह बेहोश होकर गिर जाया करते थे ।
कई बार तो उनके मुंह से खून तक निकला । अपनी अदम्य इच्छा शक्ति के बल पर वे एक महान एथलीट बने । उन्हें ' फ्लाइंग सिख ' का खिताब दिया गया था । 6 सितम्बर 1960 का दिन भारतीय एथलीटों के लिए एक यादगार दिन था ।
उस दिन रोम ओलिम्पिक में 25 वर्षीय मिलखा सिंह ने नंगे पैर दौड़कर 400 मीटर का ओलिम्पिक रिकार्ड तोड़ा लेकिन सिर्फ 0.1 सैकंड के मामूली अंतर से वह कांस्य पदक से चूक गए । यह दौड़ बड़ी अनोखी थी । इसमें पहले दो स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों ने विश्व रिकार्ड तोड़ा , तो बाद के तीन खिलाड़ियों ने ओलिम्पिक रिकार्ड । 145.6 सैकंड का मिलखा सिंह का यह रिकार्ड राष्ट्रीय रिकार्ड भी रहा , जोकि 38 वर्षों तक कायम रहा ।
1957 से 1961 के बीच मिलखा सिंह ने 100 मीटर , 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ों में राष्ट्रीय खिताब जीते । 1958 की एशियाई खेलों में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण जीता । फिर 1962 के एशियाई खेलों से भी 400 मीटर में स्वर्ण ले आए ।
एथलैटिक्स से संन्यास लेने के बाद उन्होंने पंजाब में एक खेल स्कूल की स्थापना की , जहां से मोहिंद्र और सुरिंद्र अमरनाथ जैसे क्रिकेटर और सुरजीत सिंह जैसे हॉकी खिलाड़ी तैयार हुए । बाद में वह पंजाब सरकार में खेल निदेशक बने । उनकी पत्नी श्रीमती निर्मल वॉलीबाल की मशहूर अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं तथा पुत्र चिरंजीव एक सफल गोल्फ खिलाड़ी है ।
मिल्खा सिंह जी की पत्नी श्रीमती निर्मल कौर जी का करोना संक्रमण होने के कारण निधन हो गया था। उनके निधन के कुछ महीनों के बाद ही मिल्खा सिंह जी भी करोना से संक्रमित हो गए। 91 वर्ष की आयु में भी वह करोना जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते रहे ।18 जून सन 2021 को चंडीगढ़ के एक अस्पताल में उनका दुखद निधन हो गया।
जिससे पूरे भारतवर्ष में शोक की एक लहर छा गई। भारत के प्रुधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी उनकी मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा हमने एक बहुत बड़ा खिलाड़ी को खो दिया है जिनका भारतवासियों के दिलों में विशेष स्थान था। वह आने वाले खिलाड़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक बने रहेंगे।
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